मेरी बेटी आज दहलीज पार कर गई
मां बाप की तरबियत पर सवाल कर गई
नाज था खुद से ज्यादा जिस पर
वो आज मेरा अंदाज बदल गई
मेरी बेटी आज दहलीज पार कर गई
जिसकी सिसकती सांसों पर मेरी दुनिया थम जाती थी
आज मेरी सांसों को सिसकता छोड़ गई
कहती थी पापा की परी हूँ, आज परी नहीं सिर्फ आंसुओं की झड़ी छोड़ गई ।
मेरी बेटी आज दहलीज पार कर गई
Category: Uncategorized
-
बेटी
-
याद
बहुत याद आता है…
साथ तेरा न रहा, फिर ये जीवन क्यों रहा ?
घण्टों साथ बिताए वो पल, जिन में न था कोई छल
वे मेरी हर ख्वाहिश को आखों में पढ़ना
मेरे बिन कहे , मेरे एहसासों को समझना
बहुत याद आता है……………..
आंसूओं को पलकों से न गिरने देना…
मेरी हंसी में डूबे, दर्द को समझ लेना….
आज भी मेरी सासों में, तेरी सासों की खुशबू है…..
बस रुबरु तू नहीं है… बस रुबरु तू नहीं है…
बहुत याद आता है……
-
कुछ अपना सा
यह दर्द भी बड़ा बेदर्द है
कम्ब़ख्त जीने भी नहीं देता, मरने भी नहीं देता
आता है तो कहता है, कुछ दिन का मेहमान हूँ…
पर फिर जाता क्यों नहीं……
अब तो अपना सा लगता है
सोचा इसे ही अपना हमसफ़र बना दें
कम से कम साथ तो रहेगा।
यह दर्द भी बड़ा बेदर्द है
कम्ब़ख्त जीने भी नहीं देता, मरने भी नहीं देता
-
वक्त
थम जाएं, ठहर जाएं, ये वक्त बस यूंही रुक जाये
कुछ हम कह जाएं, कुछ तुम कह जाओ,
और जो ना कह पाए, वो भी तुम समझ जाओ
अक्सर जो लफ्ज प्यार को बयान नहीं कर पाते
वो ये आखें कर जाती है
भाषा इस प्यार की समझ जाओ
लफ्जो़ से नहीं, इन आखों से ही दिल में उतर जाओ -
पैगाम..
आज की शाम एक पैगाम लायी है
मेरे महबूब को फिर दोराहे पर लायी है
जिन्दगी अजीयतों से रुकती नहीं है
फिर नयी शुरुवात करेंगे, फिर नयी किताब लिखेंगें
कुछ पन्ने हम भी जोड़ेंगे, तेरी कामयाबी के
एतबार रख उस खुदा की तोफीक पर
सदाकत से एतराफ करेगा तेरी अर्जी काक्षीरजा
-
परिन्दें..
ये आसमान में उड़ते बेबाक परिन्दें
न आज की परवाह, ना आने वाले कल की फ्रिक
काश हम भी उड़ते बिन फ्रिक इस खुले आसमान में
कहीं रुक जाते, थोड़ा थम जाते
पूछते अपने अक्स से क्या पाया हमने,
कोई अपनी तरबीयत पर सवाल ना उठाता
काश कहीं रुक जाते, थोड़ा थम जाते
बड़े एत्माद से अपनी तोफीक दिखा देतेक्षीरजा
-
नया दौर
उम्र का ये नया दौर… घेरे है, हमें हजारों सवालों का शोर…
ज़स्बात उमड़ने लगे है, हकीकतें बिखरने लगी है…
थोड़ा, वक्त ठहर जायें… थोड़ा, हम संभल जायें…
बिखरते अरमानों को समेट लेते,
काश हम तुम से मिल लेते,
कहते कुछ अपनी कहानी,
कुछ तुम्हारी सुनते…
गर सितम इस जंहा का ना उठाते…
तो इतिहास बना जाते…
पन्नो पर लाल स्याही से ही सही,
कुछ ल़फ्ज तो हम भी लिख जाते…
उम्र का ये नया दौर… घेरे है, हमें हजारों सवालों का शोर
क्षीरजा
-
दर्द
आज फिर दिल में एक दर्द उठा है, न जाने क्यों इन तन्हाईयों ने हमें घेरा है….
सब साथ है, पर फिर भी तन्हा है,
तन्हाई इस कदर मुझमें समा जाएगी, ये सोचा नहीं था,
तुम इस कदर बेवफा हो जाओगे ये सोचा नहीं था,
वफा गर एक पैमाना है, तो आज इसको माप लेते है,
क्या पता कल, ना यह पैमाना हो और न मापने वाला हो….
आज फिर दिल में एक दर्द उठा है, न जाने क्यों इन तन्हाईयों ने हमें घेरा है….
क्षीरजा
-
जिन्दगी
जिन्दगी बड़ी हंसी है…
फिर ना जाने किस बात की कमी है…
जो चाहा वो मिल ना सका…
जो मिला वो संभल ना सका…
ख़ता कुछ मेरी, तो कुछ उनकी भी रही…
खताएं अगर गुनाह न बनती
तो व़फाएं हम भी निभा जाते…
वो कहते एक बार, रुक जाओ
हम जिन्दगी को रोक देते…
काश वो एक बार, रुक जाते
तो हम कायनात् को रोक देते…
फिर भी जिन्दगी बड़ी हंसी है…
बस एक तू नहीं… यही कमी है
क्षीरजा
