नवीनतम रचना

  • पैगाम..

    आज की शाम एक पैगाम लायी है
    मेरे महबूब को फिर दोराहे पर लायी है
    जिन्दगी अजीयतों से रुकती नहीं है
    फिर नयी शुरुवात करेंगे, फिर नयी किताब लिखेंगें
    कुछ पन्ने हम भी जोड़ेंगे, तेरी कामयाबी के
    एतबार रख उस खुदा की तोफीक पर
    सदाकत से एतराफ करेगा तेरी अर्जी का

    क्षीरजा


कविताओं का संग्रह

  • जिन्दगी

    जिन्दगी बड़ी हंसी है… फिर ना जाने किस बात की कमी है… जो चाहा वो मिल ना सका… जो मिला वो संभल ना सका… ख़ता…

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  • तन्हाई

    आज फिर दिल में एक दर्द उठा है, न जाने क्यों इन तन्हाईयों ने हमें घेरा है…. सब साथ है, पर फिर भी तन्हा है,…

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क्षीरजा

ये मेरी एक छोटी सी कोशिश है आप सभी तक अपने विचार पहुंचाने की, आशा करती हु आपको कुछ रचनाये जरूर पसंद आये |