क्षीरजा
कविताओं का संग्रह
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पैगाम..
आज की शाम एक पैगाम लायी हैमेरे महबूब को फिर दोराहे पर लायी हैजिन्दगी अजीयतों से रुकती नहीं हैफिर नयी…
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परिन्दें..
ये आसमान में उड़ते बेबाक परिन्देंन आज की परवाह, ना आने वाले कल की फ्रिककाश हम भी उड़ते बिन फ्रिक…
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नया दौर
उम्र का ये नया दौर… घेरे है, हमें हजारों सवालों का शोर… ज़स्बात उमड़ने लगे है, हकीकतें बिखरने लगी है……
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तन्हाई
आज फिर दिल में एक दर्द उठा है, न जाने क्यों इन तन्हाईयों ने हमें घेरा है…. सब साथ है,…
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जिन्दगी
जिन्दगी बड़ी हंसी है… फिर ना जाने किस बात की कमी है… जो चाहा वो मिल ना सका… जो मिला…
