
मेरी बेटी आज दहलीज पार कर गईमां बाप की तरबियत पर सवाल कर गईनाज था खुद से ज्यादा जिस परवो आज मेरा अंदाज बदल गईमेरी…
बहुत याद आता है… साथ तेरा न रहा, फिर ये जीवन क्यों रहा ? घण्टों साथ बिताए वो पल, जिन में न था कोई छल…
यह दर्द भी बड़ा बेदर्द है कम्ब़ख्त जीने भी नहीं देता, मरने भी नहीं देता आता है तो कहता है, कुछ दिन का मेहमान हूँ……
थम जाएं, ठहर जाएं, ये वक्त बस यूंही रुक जायेकुछ हम कह जाएं, कुछ तुम कह जाओ,और जो ना कह पाए, वो भी तुम समझ…
आज की शाम एक पैगाम लायी हैमेरे महबूब को फिर दोराहे पर लायी हैजिन्दगी अजीयतों से रुकती नहीं हैफिर नयी शुरुवात करेंगे, फिर नयी किताब…
ये आसमान में उड़ते बेबाक परिन्देंन आज की परवाह, ना आने वाले कल की फ्रिककाश हम भी उड़ते बिन फ्रिक इस खुले आसमान मेंकहीं रुक…
उम्र का ये नया दौर… घेरे है, हमें हजारों सवालों का शोर… ज़स्बात उमड़ने लगे है, हकीकतें बिखरने लगी है… थोड़ा, वक्त ठहर जायें… थोड़ा,…
आज फिर दिल में एक दर्द उठा है, न जाने क्यों इन तन्हाईयों ने हमें घेरा है…. सब साथ है, पर फिर भी तन्हा है,…
जिन्दगी बड़ी हंसी है… फिर ना जाने किस बात की कमी है… जो चाहा वो मिल ना सका… जो मिला वो संभल ना सका… ख़ता…