यह दर्द भी बड़ा बेदर्द है
कम्ब़ख्त जीने भी नहीं देता, मरने भी नहीं देता
आता है तो कहता है, कुछ दिन का मेहमान हूँ…
पर फिर जाता क्यों नहीं……
अब तो अपना सा लगता है
सोचा इसे ही अपना हमसफ़र बना दें
कम से कम साथ तो रहेगा।
यह दर्द भी बड़ा बेदर्द है
कम्ब़ख्त जीने भी नहीं देता, मरने भी नहीं देता

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