आज की शाम एक पैगाम लायी है
मेरे महबूब को फिर दोराहे पर लायी है
जिन्दगी अजीयतों से रुकती नहीं है
फिर नयी शुरुवात करेंगे, फिर नयी किताब लिखेंगें
कुछ पन्ने हम भी जोड़ेंगे, तेरी कामयाबी के
एतबार रख उस खुदा की तोफीक पर
सदाकत से एतराफ करेगा तेरी अर्जी का
क्षीरजा

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