उम्र का ये नया दौर… घेरे है, हमें हजारों सवालों का शोर…
ज़स्बात उमड़ने लगे है, हकीकतें बिखरने लगी है…
थोड़ा, वक्त ठहर जायें… थोड़ा, हम संभल जायें…
बिखरते अरमानों को समेट लेते,
काश हम तुम से मिल लेते,
कहते कुछ अपनी कहानी,
कुछ तुम्हारी सुनते…
गर सितम इस जंहा का ना उठाते…
तो इतिहास बना जाते…
पन्नो पर लाल स्याही से ही सही,
कुछ ल़फ्ज तो हम भी लिख जाते…
उम्र का ये नया दौर… घेरे है, हमें हजारों सवालों का शोर
क्षीरजा

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